अंतरिक्ष में चाहलकडमी करना ये सब सुनने में अच्छा लगता है,पर असल में कठिनाई उसी को समझ आती है जो अंतरिक्ष में होकर आया है

वही लोग समझ पाते है जहा गुरतवा कर्शन काम ना करें बिना गुरतवाकर्शन के कोई भी काम करना वहा मुश्किल होता है
यहां तक खाना सोना भी मुश्किल से होता है लेकिन आपने सुना है की अंतरिक्ष में कंडोम पहन के क्यों जाते है चलिए बताते है आपको!
जब भी अंतरिक्ष की बात करते है जहन में हाई टेक सूटस और तैरते हुए एस्ट्रोनोट्स नज़र आते है, कभी सोचा है की अंतरिक्ष में यात्री टॉयलेट कैसे जाते है जहा गुरत्वकर्शन नही होता वहा टॉयलेट करना भी मुश्किल होता है पूर्व एस्ट्रोनोट रष्टी के एक इंटरव्यू में खुलासा किया था की पुराने समय में अंतरिक्ष में पेशाब करने के लिए कंडोम जैसी दिखने वाली डिवाइस को यूज़ किया जाता था, डिवाइस को एस्ट्रोनोट पेनिस पे यूज़ करते थे और ट्यूब के ज़रिये स्टोर कर लेते थ!
अब एडवांस होगया है सिस्टम
अंतरिक्ष में माइक्रोग्रैविटी में पेशाब एकत्र करने के लिए पहले इस्तेमाल होने वाले सिस्टम में कई समस्याएं थीं। यह सभी एस्ट्रोनॉट्स को ठीक से फिट नहीं होता था और अक्सर लीक हो जाता था, जिससे असुविधा होती थी। इसका कारण यह था कि सभी इंसानों की शारीरिक बनावट एक जैसी नहीं होती है।
पुरुष अहं’ को देखते हुए साइज के नाम को बदलकर छोटा को लार्ज, मीडियम को एक्स्ट्रा लार्ज और बड़ा को हीरो नाम दे दिया, जिससे कि किसी को शर्मिंदगी न हो. लेकिन अब तो सिस्टम और एडवांस हो चुका है और आज की मॉर्डन मशीनों में ऐसी डिवाइस और यूनिसेक्स सूट का इस्तेमाल किया जाता है. ये महिला और पुरुष अंतरिक्ष यात्री दोनों के लिए काम करते हैं. अंतरिक्ष में हर छोटी-बड़ी चीज भी प्लानिंग मांगती है.